जिस ज़मीन पर तेरी बुलंदी खड़ी है
मैं खोदूँगा तो यहाँ कई लाश निकलेगी ..
तेरे जिस्म की खुशबू यहाँ से हवा ले जाएगी
इस ऊँचाई से नीचे देख तेरी साँस निकलेगी...
मैं रहूँगा पर तुझे बचाऊँगा नहीं, मर जाऊँगा
तू गलत सही पर अपनी दोस्ती ख़ास निकलेगी...
©राम
जिस ज़मीन पर तेरी बुलंदी खड़ी है
मैं खोदूँगा तो यहाँ कई लाश निकलेगी ..
तेरे जिस्म की खुशबू यहाँ से हवा ले जाएगी
इस ऊँचाई से नीचे देख तेरी साँस निकलेगी...
मैं रहूँगा पर तुझे बचाऊँगा नहीं, मर जाऊँगा
तू गलत सही पर अपनी दोस्ती ख़ास निकलेगी...
©राम
वो तेरा मुस्कुराना
किसी और की मुस्कराहट पर
दिल जलाता है,
मैं दिखाता कुछ नहीं
पर सच कहूँ तो असर करता है..
दिल जब भी तेरे कूचे में
सफ़र करता है..
बोलता कुछ नहीं
बस सबर करता है...
©राम
एक तरफ दोस्ती की
रंगीन बातें
जहाँ हँसी की फुहारों के बीच
पारले जी कब टूटकर
चाय में गिर जाता है
पता नहीं चलता..
और एक तरफ
इक-तरफा इश्क़
जहाँ बेबस मैं..
चिल्ला चिल्लाकर
उसे बता रहा हूँ
कि मैं उससे अनवरत प्यार करता हूँ
और वो शहर के कुछ परेशान लोगों की
भीड़ में खड़ी
बस मुझे अनजान सी देख रही है..
एक तरफ खाली रास्ता
जहाँ बस हवा जाती है
किसी के पैरों के निशान को
ज़मीन से मिटाने
ताकी पता ना चले की
इस राह कोई आया भी था..
मैं भी देखता हूँ
बड़े गौर से
पर उस राह कभी गया नहीं...
और इक ख़याल यूँ ही
जहाँ ऊपर के तीनो ख़याल मिलते हैं..
जहाँ बस खुशियाँ हैं..
वो जो रास्ता खाली पड़ा है
उसी पर कुछ उम्मीद की कुर्सियाँ लगी हैं
जहाँ चार दोस्तों की गपशप
और चाय की चुस्कियाँ हैं..
और फिर तुम भी गुज़रती हो
बिना किसी भीड़ के
मैं तुम्हे देखता हूँ अपलक
और तुम मुस्कुराकर
इस प्यार को दो-तरफा होने का
एहसास दिलाती हो..
मेरे खयाल में कुछ ऐसे ही चार खयाल है..
इसलिए कहता हूँ
मेरे दिल का खयाल भी है
चौराहे जैसा...
जहाँ लोग आते हैं
रुकते हैं
चले जाते हैं...
और रह जाता है
तो बस एक खयाल...
©राम
मैं लिखता हूँ, ज़माना हँसता है,
मेरा हर एक हर्फ़ उनको बेकार लगता है..
कुछ हुनर दे इन हाथों को ऐ खुदा,
कि जब लिखूँ दिल कुरेद दूँ..
वरना वो कलम दे जिससे गुलज़ार लिखता है...
©राम
गुलज़ार साहब को मेरी ओर से जन्मदिन की ढेरों शुभकामनायें...।
एक कश खींचू तो
चाय धुआँ धुआँ सी
और लूँ जब एक चुस्की
तो सिगरेट खफा खफा सी..
इक रात जो तुम टहरी थी
मैं भूल गया
कि मेरे बिस्तर के ठीक दाहिने तरफ
ऐश ट्रे में अपने वज़ूद को खोजते
पड़ी थी एक अधजली सिगरेट ..
और गुस्से में लाल और लाल से
काली हुई चाय...
यकीनन..
तुम
चाय
और सिगरेट
तीनों होठों से लगते हो
जलते हो
अच्छे लगते हो...
©राम
#आखिरी_कश_तक_खीचूँगा_ज़िन्दगी
ये वक़्त सोचने का नहीं है,
कुछ करने का है..
बिना पंखों के
आसमान में उड़ने का है..
बस आज...
अगर आज नहीं
तो फिर कभी नहीं...
दुश्मन कितना भी बड़ा हो
डरना मत...
संघर्ष कर...
हज़ारों मुश्किले हैं
पर एक पहाड़ की तरह
अगर डट कर खड़ा नहीं हुआ
तो कोई नदी बहा ले जायेगी
अपने साथ..
और सब ये कहेंगे
कि कोई पहाड़ हुआ करता था यहाँ
कुछ दिनों पहले
यहाँ कल ये कोई नहीं पूछेगा
कि तूने क्या किया..
कैसे किया...
इसलिए अपनी नाकामी को तोड़
हवा की तरह आगे बढ़..
मंज़िल और तुझमें
एक रात का अंतर है..
कल की सुबह
जीत का सूरज लाएगी...
इसलिए लड़ और संघर्ष कर...
©राम